वैदिक ज्योतिष में दशा एक भविष्यसूचक समय-अवधि प्रणाली है जो व्यक्ति के जीवन को ग्रह चक्रों के एक क्रम में विभाजित करती है, और प्रत्येक चक्र पर एक विशिष्ट योगिनी का शासन होता है। इस प्रणाली में आठ योगिनियाँ शामिल हैं: मंगला, पिंगला, धन्या, भ्रामरी, भद्रिका, उल्का, सिद्धा और संकटा, जो कुल 36 वर्षों की अवधि को कवर करती हैं, और फिर चक्रों में दोहराई जाती हैं।
प्रत्येक योगिनी किसी न किसी ग्रह से जुड़ी होती है और अपना प्रभाव रखती है, जिससे समृद्धि, चुनौतियाँ, शिक्षा या परिवर्तन के दौर आते हैं। ज्योतिषी योगिनी दशा का उपयोग जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं का समय जानने, कर्म प्रवृत्तियों को समझने और करियर, रिश्तों, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक विकास जैसे क्षेत्रों में सटीक भविष्यवाणियाँ करने के लिए करते हैं।